Swapandosh Ka Gharelu Ilaj
स्वप्नदोष का घरेलू इलाज
(Nightfall, Swapandosh)
स्वप्नदोष का परिचय-
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स्वप्नदोष वह रोग है, जिसमें वीर्यपात बिना मैथुन क्रिया की अवस्था में हो जाता है। निद्रा में वीर्यपात हो जाये तो से ‘स्वप्नदोष’ कहते हैं। बहुत से युवक रातभर तथा सोते समय स्त्री के बारे में सोचते रहते हैं तथा तरह-तरह की सेक्स संबंधी बातें सोचते रहते हैं। परिणाम यह होता है कि लिंग उत्तेजित हो जाता है, जिससे वीर्य निकल जाता है। इसका व्यावहारिक रूप देखने से यह बात सामने आती है कि स्वप्नदोष हमेशा रात्रि के पिछले पहर में होता है। निद्रा के प्रथम समागम के अनन्तर में निद्रा की प्रगाढ़ता अल्प बल होती जाती है तथा हमेशा तीन-चार बजे रात तक की प्रगाढ़ निद्रा रहती है। निद्रा में मन स्वप्न सृष्टि में कल्पित हो जाते हैं। ठीक यही समय स्वप्नदोष का होता है। स्वप्नदोष की तीव्र और तीव्रतम अवस्था में स्वप्नदोष रात्रि के अंतिम भाग की सीमा को त्याग कर एक ही रात्रि में तीन या चार बार भी हो जाता है। इस समस्या की आधार पृष्ठभूमि क्या है।
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चूंकि यह एक मानसिक रोग है और इसके उत्पन्न होने के बहुत कारण हैं जैसे-
1. स्मरण :
हमेशा किसी सुंदर स्त्री के रूप तथा गुणों को बार-बार स्मरण करना, काम वासना के विषय में चिंतन, काम वासना का स्मरण चिंतन ही वीर्यपात का मुख्य कारण है।
2. स्त्री के बारे में बातें करना :
किसी नायिका के हाव-भाव और गुणों की बातें करना, जिससे काम वासना का चिंतन जब मस्तिष्क में अपना स्थान बना लेता है, तो मैथुन करना अच्छा लगता है तथा अश्लील कामोत्तेजक कहानी, उपन्यास अथवा मैथुन संबंधी बातें करना, गुप्त रूप से स्त्री-पुरूष के यौन संबंधों को देखना, एकांत में रहना आदि ये सब कारण मानसिक वासना को जागृत कर स्वप्नदोष तक पहुंचा देते हैं। हस्तमैथुन इस रोग का सबसे बड़ा कारण है।
स्वप्नदोष के लक्षण-
अत्यधिक स्वप्नदोष होने पर सारा शरीर क्षीण हो जाता है। चेहरे की रौनक चली जाती है। गाल पिचक जाते हैं। आंखों का रंग पीला पड़ जाता है। आंखें कमजोर हो जाती हैं। आंखें अंदर की ओर धंस जाती हैं। सिरके बाल सफेद हो जाते हैं तथा सिर, कमर व सारे शरीर में दर्द रहता है। हाथ-पैर के तलवों से अधिक पसीना निकलता है। हृदय कमज़ोर हो जाता है तथा कब्ज़ बनी रहती है। साथ-साथ शरीर अनेक रोगों का घर बन जाता है। थोड़ा परिश्रम करने थकावट हो जाती है। शरीर सुस्त रहता है तथा स्मरण शक्ति कमज़ोर हो जाती है। कुछ याद नहीं रहता है। हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। दाँत खराब हो जाते हैं।
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वाग्भट्ट संहिता के अनुुसार रस से लेकर वीर्य तक सातों धातुओं का तेज है। इसे ओजस कहते हैं। ओजस हृदय में रहता है। ओजस की वृद्धि से ही बल की उत्पत्ति होती है। ओजस के नाश से ही मृत्यु होती है।
सुश्रुत सहिंतानुसार रस से शुक्र तक सात धातुओं के परम तेज भाग को ओजस कहते हैं। यही बल है। संभोग के तुरन्त बाद मानव बलहीन हो जाता है। रस, रक्त, मांस, मेदा, अस्थि, मज्जा और शुक्र(वीर्य) यह सात पदार्थ में रहकर शरीर को स्वस्थ बनाते हैं। यदि यह मनुष्य के शरीर में क्षीण हो जाये तो आप ही अंदाजा लगायें कि मनुष्य के शरीर का क्या होगा।
स्वप्नदोष की चिकित्सा-
1. स्वप्नदोष का मुख्य कारण वासना एवं मानसिक दुर्बलता है। इस पर व्यक्ति को विजय पाने की कोशिश करनी चाहिए तथा सदाचार के नियमों का पालन करना चाहिए। शारीरिक एवं मानसिक शक्तियों पर नियंत्रण करना चाहिए।
2. भीमसेन कर्पूर एक ग्राम शीतल जल से प्रतिदिन रात को सोते समय खिलायें। स्वप्नदोष में लाभ होगा।
3. चन्द्रोदय वटी(ज्वाला) 1-1 गोली सुबह-शाम खाना खाने के बाद दूध से दें या स्वप्ना कैप्सूल एक सुबह और एक रात को जल से दें।
4. आँवले का चूर्ण 2 ग्राम को मधु के साथ सुबह-शाम प्रयोग करायें।
5. गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ मधु के साथ दिन में 2-3 बार प्रयोग करने से स्वप्नदोष एवं शुक्रमेह में लाभ होता है।
Swapandosh Ka Ayurvedic Upchar
6. खजूर बीजरहित धो-पोंछकर गाय के दूध में 1ः15 के अनुपात में उबालें। जब खजूर के रंग का घी दूध पर तैरने लगे, तो उतार कर खजूर सहित समस्त दूध को रोगी पी लें। ऐसा सुबह-शाम दो महीने तक करें। स्वप्नदोष दूर होगा तथा शरीर में ताकत भी आयेगी।
7. ईसबगोल की भूसी 6 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 3 ग्राम तथा मिश्री 12 ग्राम का चूर्ण तैयार करें। ऐसी एक मात्रा गाय के दूध के साथ सुबह-शाम प्रयोग करायें। स्वप्नदोष में लाभ होगा।
8. बंग भस्म 250 मि.ली. मधु से चटाकर ऊपर से तुलसी के पत्ते और तुलसी की जड़ ही छाल का रस 15 मि.ली. सुबह-शाम प्रयोग करें, तो स्वप्नदोष में लाभ होगा।
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