Swapandosh Ka Ilaj
स्वप्नदोष का इलाज
स्वप्नदोष(nightfall)
Nightfall treatment, Swapandosh, Swapandosh ka ilaj
निंद्रावस्था में स्वतः वीर्यपात हो जाना ‘स्वप्नदोष’ कहलाता है। रोगी नींद में स्वप्न में कामुक दृश्य देखता या स्वप्न में संभोग करता है, जोकि ऐसा प्रतीत होता है, कि यह संभोग-कार्य वास्तविक रूप मेें सम्पन्न हो रहा है और फिर देखते ही देखते अति उत्तेजना में एकाएक वीर्य स्खलित हो जाता है। उसके बाद नींद खुल जाती है और वह व्यक्ति अपना ‘वस्त्र’ गीला पाता है। रोग पुराना हो जाने पर स्वप्नदोष के बाद नींद भी नहीं खुलती है। यदि माह में एक से दो बार स्वप्नदोष हो जाये तो उसकी गणना रोग में नहीं करनी चाहिए। लेकिन एक माह में 5-7 या अधिक बार स्वप्नदोष हो जाये तो उसे रोग की श्रेणी में ही समझना चाहिए।
स्वप्नदोष की अन्य परिभाषा-
हर व्यक्ति एक न एक दिन युवा होता ही है, अतः युवा अवस्था में कदम रखने के कारण व्यक्ति की बाॅडी में हार्मोनल परिवर्तन होने लगते हैं और वह स्त्री और पुरूष के गुप्त सम्पर्क को महसूस करने लगता है और यही गुप्त-भेद जानने की उसकी इच्छा जोर मारने लगती है। इसी कारण वह हस्तमैथुन करने लगता है और संभोग दृश्य स्वप्न में देखने लगता है। अश्लील स्वप्न और हस्तमैथु के कारण वह लड़का या पुरूष स्वप्नदोष का शिकार हो जाता है, जिसे अंग्रेजी में नाइटफाॅल भी कहते हैं।
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स्वप्नदोष के कारण-
1. बहुत ज्यादा अश्लील फिल्में व दृश्य देखना।
2. अधिक गंदे, अश्लील साहित्य पढ़ना।
3. हमेशा अश्लील विचारों में खोये रहना।
4. हर वक्त सुंदर स्त्रियों निर्वस्त्र अंग-प्रत्यंगों के बारे में सोचना।
5. लंबे समय तक संभोग न करना।
6. सुंदर लड़कियों व स्त्रियों के सम्पर्क में अधिक रहना।
7. गुप्तांग की नसें कमजोर हो जाना।
8. पेट के बल सोने की आदत।
9. लगातार संसर्ग व हस्तमैथुन करना।
10. बाॅडी में आयरन का अभाव।
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स्वप्नदोष से होने वाले नुकसान-
1. अधिक व बार-बार स्वप्नदोष के कारण उत्पन्न हो जाती है शीघ्रपतन की समस्या।
2. व्यक्ति की याददाश्त कमजोर पड़ जाती है।
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3. हर वक्त सुस्ती व आलस्य से व्यक्ति घिरा रहता है।
4. कोई भी काम करने में थकान महसूस होने लगती है।
5. जरा-सी बात पर क्रोध करने से ब्लडप्रेशर हाई हो जाना।
6. संभोग क्षमता भी घट जाती है।
7. दुर्बलता का शिकार हो जाना।
8. खाने का मन न करना आदि।
स्वप्नदोष की घरेलू चिकित्सा-
1. ईसबगोल की भूसी 1-1 चम्मच सुबह-रात्रि जल के साथ या इसका शर्बत बनाकर लें।
2. बढ़(बट वृक्ष) का दूध सुबह-शाम 1-1 बताशे में डालकर खायें तथा ऊपर से धारोष्ण दूध लें।
3. गूलर का दूध सुबह-शाम 1-1 बताशे में डालकर खायें।
4. मुलेहठी चूर्ण 3-3 ग्राम सुबह-शाम शहद मिलाकर चाटें।
5. भुनी फिटकरी 150 ग्राम, हल्दी पाउडर 50 ग्राम, शुद्ध गेरू 50 ग्राम, त्रिफला चूर्ण 50 ग्राम तथा मिश्री चूर्ण 300 ग्राम मिला लें। 1-1 चम्मच 3 बार पानी के साथ दें।
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6. ईसबगोल की भूसी 60 ग्राम, तालमखाना चूर्ण 20 ग्राम, बबूल का गोंद पिसा हुआ 20 ग्राम, सालबमिश्री चूर्ण 20 ग्राम तथा मिश्री चूर्ण 120 ग्राम मिला लें। 1-1 चम्मच 3 बार दूध या जल के साथ लें।